Saturday, March 7, 2009

पूर्वोतर एक अभिन्न अंग, बदलते हालात

पूर्वोतर राज्यों के शान्तिप्रिय लोगो को लगातार आतंकवादी घटनाओं का सामना करना पड रहा है। आतंकवादी भीडभाड वाली जगहांे पर बम विस्फोट कर आम नागरिकों के बीच दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे है। चिंता की बात यह है कि पूर्वोतर में सक्रिय आतंकवादी सगंठन आसानी के साथ हिंसक वारदातो को अन्जाम दे रहे है और जनता को आतंकित करने में सफल हो रहे है। जिन इलाको में घनी आबादी है, उन इलाको को बार- बार उग्रवादी हिंसा का निशाना बनाया जा रहा है और लोगो को भय के साये में जीने के लिए मजबूर होना पड रहा है। पूर्वोतर में उग्रवाद की समस्या का स्थायी समाधान ढूढने की दिशा में केन्द्र सरकार की नाकामी की वजह से हालात दिनों दिन बिगडते जा रहे है। केन्द्र सरकार के रवैये को देखते हुऐ आतंकवादी सगठनो का हौंसला और भी बढता जा रहा है। जब तक वोट बंैक की घटिया राजनीति को छोडकर पूर्वोतर की राजनीतिक पार्टिया एक स्वर में केन्द्र से उग्रवाद का हल करने की माँग नही करती तब तक पूर्वोतर में उग्रवाद एक उग्र रूप की तरह फलता-फूलता रहेगा और आम जनता डर-डर कर जीने के लिऐ मजबूर रहेगी । इस सन्दर्भ में असम और मणिपुर के हालात पर गौर करे तो स्पष्ट होता है कि उग्रवाद ने किस तरह जनजीवन को अस्त-व्यस्त बनाकर रख दिया है। गुवाहाटी में 30 अक्टूबर को हुऐ सिलसिलेवार धमाको में सौ लोगो की जाने गई और अभी हाल ही में 1 जनवरी 2009 भी फिर बम-धमाका हुआ जिसमें भी अनेक लोग मारे गऐ। आतंकवादियों ने भीडभाड वालें इलाकों को अपना निशाना बनाया। केन्द्र की संयुक्त गठबन्धन सरकार और राज्य की काग्रेस-बीपीएफ गठबन्धन सरकार को भारत-बाग्लादेश सीमा की सुध आई। कारण, सीमा पर से ही बम-धमाकों की असली रणनीति बनी और उसे लागू करने खुली सीमा से लोग भी आए। और तो और, वीजा लेकर आऐ लोग भी यहा गायब हो गए और असम पुलिस ने उन्हें खोज निकालने के लिऐ कोई कोशिश तक नहीं की गई। यही हमारी देश की सुरक्षा का हाल है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों कि एक टीम ने बम धमाको के बाद जाॅच की तोे पता लगा कि पिछले दो सालो में 263 बाग्लादेशीयों में 186 वापस लौटकर गऐ ही नहीं। अनुमानतः तीन करोड बाग्लादेशी भारत में घुसे हुए है। ये रोजाना अडतीस हजार के औसत में प्रवेश करते है। लश्कर-ए-तैयब्बा की जिराॅक्स कापी बने हूजी -हरकतुल अलजिहादी अलइस्लामी ने अपने ढाका मुख्यालय से भारत में बसे बांग्लादेशियों को अपने ध्वंसात्मक कार्य योजना में सुगम माध्यम बना लिया है। जयपुर,बैगलुरू,अहमदाबाद आदि में हुऐ धमाकें इसके सबूत है। ये सभी घुसपैठिये अब हुजी के निर्देशानुसार असम के हुबडी,दांरग,बारपेटा,मोरीगाांव आदि सीमा से सटे क्षेत्रों में अफीम की खेती करते है। उसकी आवक से आधुनिक शस्त्र खरीदते है और भारत में सक्रिय आतंकियों को मुहैया कराते है। असम में ऐसे छत्तीस इस्लामी सगंठन है। इसलिऐ देश के पूर्वोतर हिस्से को संवारने के प्रति राष्ट्रीय नीति बनानी होगी। इस तरह असम का पैंतीस अरब रूपयों का चाय उधोग तथा बाइस अरब वाला तेल उत्पादन असम और भारत के सम्यक विकास में लगेगा। अतः यदि नये गृहमंत्री अपनी घोषणा को कारगर करते है तो ये बाग्लादेशी घुसपेठिये खदेडे जा सकते है। तब भारत के संसाधन, आबादी और विकास इनके बुरे असर से बच जायेगे वर्ना अनचाहा मेहमान अगर मेजबान बन जाये तो भारतीय अपने ही वतन में शरणार्थी बन जायेगें। वही दूसरी और मणिपुर के हालात से स्पष्ट होता है कि उग्रवाद किस तरह प्रभावी है। मणिपुर में मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव की फ्रंटसरकार है, जो लोगो को हिंसामुक्त वातावरण मुहैया करवाने में बुरी तरह असफल रही है। इबोबी सरकार किसी भी तरह का कारगर कदम उठाने से बचती रही है न तो संवेदनशील इलाको में प्रर्याप्त गश्त का इतंजाम किया गया है न ही कानून व्यवस्था की बहाली को लेकर सरकार ने कोई उपाय किया है। राज्य का खुफिया तंत्र उग्रवादियों की ताकत के सामने बौना साबित हो रहा है। वर्षो से मणिपुर में हिंसक घटनाऐ घटती रही है और इन घटनाओं में निर्दाेष लोग मारे जाते रहे है। 21 अक्टूबर को इम्फाल शहर में जो भीषण बम-विस्फोट हुआ, वह अब तक का सबसे भयावह विस्फोट था। तथाकथित पृथक राष्ट पृथक पहचान के नाम पर दर्जनों उग्रवादी संगठन निरंकुश तरीके से फरमान जारी कर रहें है और आम जनता को आतंकित होकर जीने के लिऐ मजबूर कर रहे है। ऐसी हालात में राज्य में न तो कानून का राज रह गया है, न ही लोकतंत्र का कोई वजूद बचा हुआ है।

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