Wednesday, June 22, 2011

खूबसूरत वादियों में बसा जेएनयू

हिन्दुस्तान की इस सरजमी पर अनेक विश्वविद्यालय नजर आते है, लेकिन
'जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) का अपना अलग ही अंदाज है।
जे.एन.यू, नई दिल्ली के दक्षिण भाग में स्थित है, जहा विभिन्न विषयों में
उच्चस्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है, इसे मानविकी, समाजविज्ञान और
अंतर्राष्टीय अध्ययन हेतु हिन्दुस्तान का सर्वोपरि विश्वविद्यालय माना
जाता है| यह एक ऐसा प्लेटफोर्म है जहा से हर कोई अपनी किस्मत का सितारा
बुलंद कर सकता है, यह एक मिशाल है देश के उन नवयुवको के लिए जो अपनी
जिन्दगी में कुछ नया कर दिखाने का जज्बा  रखते है| यहाँ के विद्यार्थी
पढने लिखने के अलावा अपनी राजनीतिक चेतनशीलता के लिए जाने जाते है| अगर
हम बात करें यहां के माहौल की,पढ़ाई की, रहन-सहन की, खाने-पीने की और
यहां के कार्यक्रमों की, तो हर मायने में यह एक अलग अंदाज रखते हैं। यहां
का शांत लेकिन सब कुछ कह देने वाला वातावरण, उच्चस्तर की शिक्षा ओर
छात्र-छात्राओ की राजनीति में सक्रिय भागीदारी, छात्रों को उच्च स्तरीय
शिक्षा में यहां प्रवेश लेने के लिए आकर्षित करती है। हर किसी के मन में
यह सवाल स्वाभाविक ही उठता है कि कैसे भी करके इस विश्वविद्यालय में
दाखिला ले लूं| जे.एन.यू एक मीठे शहद की तरह है ,जिसे चखने के लिए हर कोई
बैचेन रहता है और जिसने एक बार चख लिया, वह बार-बार दोड़ा चला आता है
चाहे वह देश दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना हो| यह दिल्ली में सबसे
हटकर व सुरक्षा के मामले में चाकचौबंद यह विश्वविद्यालय अपनी एक अलग
पहचान लिए हुए कई विशेषताओं पर खरा उतरता है। यहाँ की पार्थसारथी
चट्टाने, चहचहाते पक्षियों का मधुर सा कोलाहल, प्राकृतिक गुफाएं,
रंगबिरंगे फूल, गहरे जंगल,शांत वातावरण,नेहरुजी, की मूर्ति,लम्बी-चौड़ी
लाइब्रेरी ये सब मिलकर जेएनयू के वातावरण को एक अनुपम स्वरूप प्रदान करते
हैं। जे.एन.यू जैसा खुला माहोल देश के किसी अन्य विश्वविद्यालय में देखने
को नहीं मिलेगा, यही वजह की यहाँ का खुला माहोल हर किसी को रास आ जाता
है, यहाँ की हास्टल लाइफ का भी एक अलग सा मजा देखने को मिलेगा लाजवाब
खाना,सम्पूर्ण  सुविधाओं से लबालब| यहाँ के हास्टलो के नाम नदियों पर रखे
गये है, जो एक सेकुलर नाम है, जो किसी धर्म या जात-पात की बात नहीं करते
बल्कि इंसानियत की बात करते है जिनमेकावेरी,गोदावरी,पेरियार,झेलम,सतलुज,गंगा,
साबरमती,ब्रम्हपुत्रा,महानदी,यमुना,ताप्ति,माहि-मांडवी,लोहित,चंद्रभागा
,कोयना और लूनी हास्टल आते है, अगर यहाँ की पोलिटिक्स की बात की जाए तो
इसका भी कोई जवाब नहीं लाजवाब है, केम्पस में कई पार्टिया सक्रीय है,
पार्टियों के बने  बेनर या पोस्टर आपको हर  किसी सेंटर के आगे देखने को
मिलेगा, इन पार्टियों में आइसा पार्टी अन्य पार्टियों पर भारी पड़ती है|
ये यहाँ की पोलिटिक्स का ही नतीजा है की यहाँ के छात्र-छात्राए देश के हर
तमाम मुद्दो पर अपनी तेज-तर्रार पकड रखते है,और देश की पोलिटिक्स में भी
इनका वर्चस्व कायम है और रही बात यहाँ की शाम की तो वो दिनभर की किताबी
पढ़ाई से अलग अधिक मनोरंजक व ज्ञानवर्धक होती हैं।शाम होते ही जेएनयू के
प्रसिद्द गंगा ढाबा, पार्थसारथी रॉक, गोदावरी ढाबा, गोपालन जी की
लाईब्रेरी कैंटीन, मामू का ढाबा, २४&७ ढाबा जैसी जगहों पर छात्रों की
भीड़ देखते ही बनती है। कहीं सिगरेट के कश छोड़ते बुद्धिजीवी तो कही
हंसते खिलखिलाते दोस्तों के ग्रुप,तो कही प्रेम में तल्लीन प्रेमी जोड़ेतो
कही देश दुनिया के मुद्दों को वैचारिक बहसों में खपाते युवा जेएनयू की
शाम का हाल बयान कर डालते हैं। जनवरी की सर्दी में गंगा ढाबा के पास खड़ी
आइसक्रीम की रेहड़ी पर छात्राओं की भीड़ और उनके मुख पर मंद-मंद मुस्कान
से जेएनयू की आनंदमयी शाम का चित्र स्वंय प्रस्तुत हो आता है। जेएनयू के
झेलम छात्रावास के बाहर दोस्तों के साथ मुंबई हमले पर विवाद करते हुए एमए
समाजशास्त्र के छात्र बूटासिंह के चेहरे का लाल रंग और आंखो में झलक रहा
गुस्सा, आतंकवादियों के खिलाफ उनकी प्रतिक्रिया को व्यक्त करने के लिए
काफी है। ये वाद विवाद, मौजमस्ती, उन्मुक्त माहौल में उमड़ते-घुमड़ते
विचार वहां की रोजाना की शामों का एक अभिन्न अंग हैं। जेएनयू के मुख्य
द्वार से लेकर ब्रह्मपुत्र हॉस्टल तक हर जगह तैनात सुरक्षाकर्मी, सड़कों
को प्रकाशमय करती स्ट्रीट लाइट इत्यादि जेएनयू की एक सक्रिय सुरक्षा
व्यवस्था का प्रमाण हैं। हॉस्टल में ठीक आठ बजे खाना खाने के बाद ठहलने
निकल जाना छात्रों की आदत बन चुकी है। वास्तव में जेएनयू की शाम, उसकी
सुबह के मुकाबले कहीं अधिक मनोरंजक और उल्लास लिए होती है। लेकिन इस शाम
का जितना आनंद इसके बारे में पढऩे में है, उससे कहीं ज्यादा उल्लास तो
यहां एक शाम गुजारने में आता है।

1 comment:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Sunder vivaran.... Achcha laga pdhkar, jankar....