Saturday, March 7, 2009

पधारो म्हारै देस...गुलाबी नगरी जयपुर


राजस्थान राज्य का जयपुर जिला अपने आप में एक अद्भूत विशेषता रखता है। गुलाबी नगरी और पूर्व के पेरिस के रूप में विख्यात जयपुर एक भव्य और सुन्दर शहर है। जयपुर राष्टीय राजधानी दिल्ली से 262 किलोमीटर दूर स्थित है और राजस्थान की राजधानी है। इसके बारे में जर्मन विद्वान मैक्समूलर ने कहा था कि मैंने जयपुर जैसा सुन्दर नगर देख लिया अब अगर मर भी जाऊ तो क्या गम है। यह नगर कछवाहा वंशी राजपूतों की दूसरी राजधानी थी। महाराजा सवाई जयसिंह नें 1727 ई, में जयपुर की स्थापना की थी। इस नगर के वास्तुकार पं, विद्याधर थे। जयपुर सुनियोजित रूप से बसाया गया शहर है। यहाँ की चैडी सडकें एक दूसरे को समकोण पर काटती है। भव्यता के लिऐ शहर को गुलाबी रंग में रंगा गया था। 1876 में वेल्स के राजकुमार की यात्रा के समय इसे दोबारा गुलाबी रंग में रंगा गया। राजमाता गायत्री देवी के हेरीटेज समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद जयपुर के हेरीटेज स्वरूप को नुकसान पहुचा है। जयपुर देश के लगभग सभी शहरो से रेल, सडक या हवाई मार्ग से जुडा हुआ है। सांगानेर हवाई अड्डा यहाँ का प्रमुख हवाई अड्डा है। दिल्ली से चलकर उदयपुर तक जाने वाली शाही रेल ’पैलेस आन व्हील’ का पहला स्टाप जयपुर ही है। जयपुर पर्यटकों की पहली पसन्द रहा है और यहाँ हर मौसम में देश विदेश के सैलानीयों की भीड देखी जा सकती है। वैसे यात्रा का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च है। अब बात यहाँ के पर्यटन स्थलों की है सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित चन्द्रमहल, जो सीटी पेलेस के नाम से जाना जाता है, यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके एक हिस्से में राजपरिवार रहता है और दूसरा हिस्सा महाराजा मानसिंह द्वितीय म्यूजियम के रूप में है जो जनता के लिऐ खुला है। म्युजियम में राजपुत कालीन हथियार, पौशाके और बर्तन आदि रखे गये है, पास में ही गोविन्द देवजी का मन्दिर है। शहर के बीच में स्थित है, जन्तर-मन्तर जिसे सवाई जयसिंह ने बनवाया था। जंतर-मंतर से हवा का रूख देखकर आज भी विद्वानों द्वारा मौसम की भविष्यवाणी की जाती है। बडी चैपड के पास हवा महल स्थित है, जिसका निर्माण महाराजाप्रताप सिह ने 1799 ई में करवाया था। हवा महल मे एक हजार झरोखे हैं, जिनसे झाँककर गुजर रहे जुलूस आदि को रानियां देख सकती थीं लेकिन निचे से उन्हें कोई नहीं देख सकता था। हवा महल के पास में सवाई मानसिह होटल है जो पहले राजस्थान विधान सभा हुआ करता था। एक अन्य खूबसूरत जगह है रामनिवास बाग। बडे-बडे पार्को के बीच अल्बर्ट हाल है जो देखने लायक है। मुख्य शहर से आठ किलोमीटर दूर आमेर स्थित है जो 17 वी सदी से पहले कछवाहा राजपूतों की राजधानी थी। आमेर के महल राजपूत स्थापत्य कला के सुन्दर नमूने जिन पर मुगल स्थापत्य शैली का प्रभाव देखा जा सकता है। यही पर जयगढ स्थित है जिसमें तत्कालीन एशिया की सबसे बडी तोप भी रखी हुई है, पास में पहाडी का नाहरगढ का किला है जहाँ से पूरे जयपुर का विहगंम दृश्य दिखाई देता है। यहा पर सैलानियों के लिऐ ऊँट,घोडे और हाथी उपलब्ध रहते है। आमेर के रास्ते में ही जलमहल आता है। चारों और पहाडी से घिरी हुई यह झील पानी से भरी रहती है और बीच में महल स्थित है जिसमें नाव की सहायता से जाया जा सकता है। मानसागर झील में स्थित जयमहल और नाहरगढ की तलहटी में स्थित कनक वृन्दावन मन्दिर भी सुन्दर पिकनिक स्थल हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिऐ यहाॅ बहुत अच्छे होटल्स है जिनमें राजपूताना पैलेस, होटल मानसिंह और रामबाग पैलेस प्रमुख है। यहाँ का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय 1947 में बना राजस्थान विश्वविद्यालय है। 1986 से पहले यह राजपुताना विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था। खेल के लिऐ सवाईमानसिह स्टेडियम और पोलो गा्रउण्ड है। सवाई मानसिह अस्पताल जयपुर का सबसे बडा अस्पताल है। अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाला जयपुर आज भी इतना ही भव्य है, तो बस एक बार ’थेबी पधारांेे म्हारै देस’।

1 comment:

L.Goswami said...

रोचक और उपयोगी जानकारी ..लिखते रहें.कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें ..हिन्दी ब्लॉग्गिंग में स्पैम की कोई समस्या नही है टिप्पणी देने में आसानी होगी