Friday, January 28, 2011

कौन हू मै..?

हर तरफ अन्धेरा है,
कही में अंधा तो नहीं?
करता हू तेरी पूजा,
कही में रब का बन्दा तो नहीं ?
 फिरता हू तेरी तलाश में,
कही में मुसाफिर तो नहीं?
रब से मागता हू तेरी ही भीख,
कही में फकीर तो नहीं?
हर चेहरे पर तेरा ही चेहरा दिखे,
कही में दीवाना तो नहीं?
बस तलाश है तेरे प्यार की, शमा की .
कही मै परवाना तो नहीं?
करता हू फूलो से तेरी बाते,
कही में भवरा तो नहीं?
भटकता हू तेरी याद में,
कही में आवारा तो नहीं?
हर बात से डरता हू
कही मै कायर तो नहीं?
बिना सोचे ही चलती है कलम,
कही मै सायर तो नहीं?

1 comment:

तरुण भारतीय said...

धरती से ऊँचा पर्वतहै , पर्वत से ऊँचा आसमान ..
आसमान से ऊँचा देश हमारा प्यारा हिन्दुस्थान ,,,