नए राज्यों की माग का क्या औचित्य है, हालाकि राजनितिक कारणों से नई राज्यों की माग उठती है, वर्तमान राज्यों को जोडकर बड़ा राज्य बनाने की माग कभी नहीं आती, अभी दस साल पहले बने तीन राज्यों का हाल तो देख लीजिये जिनमे उतराचल, झारखंड और छतीसगढ और नए राज्यों की माग का क्या औचित्य है अगर बनाए जाए तो एक राज्य इकाई के मानक, आधार और औचित्य तय कीजिए। सभी राज्यों की एक जैसी विधानसभा, विधायक संख्या तय कीजिए। नया राज्य पुनर्गठन आयोग बनाइए। संसदीय सीटों परिसीमन की तर्ज पर सभी दलों, सांसदों, विधायकों से परामर्श लीजिए। आर्थिक सामाजिक, भूक्षेत्रीय जनसांख्यिकीय सरोकारों को जोडि़ए। भाषा, मजहब और राजनीतिक दुराग्रहों से मुक्त होकर कुछ राज्य तोडि़ए, कुछ राज्य जोडि़ए। 40-50 या इससे भी कम-ज्यादा राज्य बनाइए। रोज-रोज का टंटा खत्म किया जाना बहुत जरूरी है। नए राज्यों को लेकर उठने वाली रोजमर्रा मांगों से राष्ट्र की बड़ी क्षति हुई है।
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