भारत में भुखमरी,कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारी की समस्याए लगातार बढती ही जा रही है, आजादी के इतने वर्षो बाद भी हालत वेसे ही है , जिस तरह के अंग्रेज छोड़कर गए थे | एक वक्त था जब बंगाल, ओडिशा के दुर्भिक्ष को याद कर रोगटे खड़े होते थे| क्योकि इंसान हो या जानवर ज़िंदा रहने के लिए उसे खुराक चाहिए | जानवर इंसान के टुकडो पर अपना पेट भर सकता है लेकिन इंसान भी अगर इसी तरह पेट भरने को विवश हो, तो क्या यह समूचे समाज के लिए श्रम की बात नहीं है| दुखद यह है की आज भारतीय समाज सचमुच ऐसा ही हो गया है| कही अनाज की बेशर्म बर्बादी है, तो कही दाने-दाने को तरसते लोग है|आज हर प्रदेश में कमोबेश वेसे ही हालत है और सत्ता पर बेठे लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ रहा |
No comments:
Post a Comment