सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हम बुलबुलें हैं उसकी वो गुलसिताँ हमारा। परबत वो सबसे ऊँचा हमसाया आसमाँ का वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा। गोदी में खेलती हैं जिसकी हज़ारों नदियाँ गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जिनाँ हमारा। मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा।- मुहम्मद इक़बाल
Thursday, January 13, 2011
हमारे लोकतंत्र में चार स्तम्भ है-न्यायपालिका, कार्यपालिका,विधायिका और मीडिया| पर इसमे से भी कोई स्तम्भ ऐसा नहीं है, जिसे भ्रष्ट्राचार ने नहीं जकड़ रखा हो| ऐसे में सकट लोगो के भरोसे का है और ख़तरा इस बात का है की इन चार स्तम्भों से भरोसा उठने का सीधा मतलब है लोकतंत्र से भरोसा उठना| अहम सवाल यह है की ऐसी हालत में स्थिति क्या होगी और समाज या यो कहे की पूरा देश किस दिशा में जाएगा| यह बड़ा ही सोचनीय विषयहै| हमारे लोकतंत्र में चार स्तम्भ है-न्यायपालिका, कार्यपालिका,विधायिका और मीडिया| पर इसमे से भी कोई स्तम्भ ऐसा नहीं है, जिसे भ्रष्ट्राचार ने नहीं जकड़ रखा हो| ऐसे में सकट लोगो के भरोसे का है और ख़तरा इस बात का है की इन चार स्तम्भों से भरोसा उठने का सीधा मतलब है लोकतंत्र से भरोसा उठना| अहम सवाल यह है की ऐसी हालत में स्थिति क्या होगी और समाज या यो कहे की पूरा देश किस दिशा में जाएगा| यह बड़ा ही सोचनीय विषयहै|
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