Saturday, March 7, 2009

ग्रामीण परिवेश की झलक सूरजकुंड मेला


दिल्ली सीमा से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सूरज कुंड क्राफ्ट मेले की अपने आप में एक अलग ही पहचान हैं। 23वां सूरजकुंड क्राफ्ट मेला जो कि 1 फरवरी से 15 फरवरी तक चलेगा। इस बार मेले में अनेक राज्यों देशो के शिल्पकार भाग लेगे और अपनी ला का प्रदर्षन करेगें। मेले का प्रयोजन भारतीय गा्रमीण परिवेष को देषी और विदेषी लोगों के सामने प्रस्तुत करना हैं। दर्षकों को षिल्प संरचना की मोहक तकनीक और दस्तकारी की षिक्षा देने के अतिरिक्त षिल्प और शिल्पकारों को खरीददारों से सीधा रूबरू होना ताकि उन प्रतिभाओं को राश्ट्रीय और अंतराश्ट्रीय पटल पर अपना हुनर दिखाने का मौका मिल सके। सन् 1986 से सूरजकुंड मेला प्राधिकरण, हरियाणा पर्यटन, षिल्प, हैंडलूम विकास कमिष्नर और सांस्कृतिक पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से हर साल अंतराश्ट्रीय का्रफ्ट मेले का आयोजन करता रहा है। यह मेला भारतीय षिल्प और लोकनाट्य कलाकारो को दुनियावी फलक पर ख्याति दिलाता है। इस बार मेले मंेपष्चिमीबंगाल, आसाम,राजस्थान,गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब,मध्यप्रदेष, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेष और बिहार सहित सभी राज्यों के षिल्पकारों को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा मेले में सार्क सदस्य देष जिनमें भारत, बांग्लादेष,पाकिस्तान,श्रीलंका, नेपाल,भूटान,मालदीव और अफगानिस्तान षिरकत करेगें। इस साल मिस्त्र का लोकनृत्य और लोकनाट्य कलाकार आकर्शण का केन्द्र है। देष से करीब 350 से अधिक कलाकार, 100 के आसपास हैंडलूम कारीगर 300 के करीब लोकनृत्य कलाकार जलवा बिखेरेगें। मेले में झोपडी पर चिकनी मिट्टी गोबर को मिलाकर किया गया लेपन उस पर की गई चित्रकारी लोगों को आकर्शित करेगी। हरियाणा सरकार की पर्यटन सचिव केसनी आनन्द अरोडा ने बताया कि वर्श 2009 का मेला इसलिए खास है कि इस बार मिस्त्र के लोकनृत्य के प्रदर्षन के लिए 12 टुकडियां आई है। पिछली बार थाईलैंड के षिल्पकार आऐ थे जबकि लोकनृत्य नहीं आया था। मेले में बांस,ईख,कढाई, धातु के और चीनी मिट्टी के बर्तनों के स्टाल भी लोगों को लुभा रहे थे। थीम राज्य मध्यप्रदेष से 40 षिल्पकार भाग ले रहे थे। उन्होंने बताया कि इस मेले की खास बात यह की इसमें देष के अन्य षिल्प मेलो से ज्यादा लोग आते हैं। पिछले वर्श छह से सात लाख लोग आऐ थे। इस बार आठ लाख से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है। सुरक्षा की दृश्टि से मेले मे कडे इतंजाम किये गये है, जगह-जगह करीब 68 सीसीटीवी कैमरे लगाये गए है | के लोगांे को मेले मंे टिकट आसानी से मिल जाए इसके लिए दिल्ली के मेट्रª रेल स्टेषन, दूध की डेयरियों (एम एन सी), हुडा (हरियाणा उद्योग विकास प्राधिकरण) के कार्यालयों और नगर निगम के दफ्तरों पर टिकट उपलब्ध करा दिए गए हैं। इस बार भी मेले मे पंजाबी रसोई के खाने, दक्षिण भारतीय व्यंजनों और चाइनीज स्नैक्स को सुन्दर स्टालांे के माध्यम से दर्षकों के सामने परोसा जायेगा इसलिऐ इस मेले को फूड फेस्टिवल का दर्जा भी प्राप्त है। पर्यटन मंत्री किरण चैधरी ने बताया कि सुरजकुंड मेले के कारण आज हरियाणा की अपनी पहचान बन चूकी है। राज्य ने इसके माध्यम से अपनी षिल्प और लोकनृत्य कलाओं की छटा बिखेर कर अंतराश्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है।उन्होने बताया की इस बार विदेषो से आने वाले कलाकारों के लिए कुली और उनकी देखरेख के लिऐ कुछ वालिंटियर्स भी उपलब्ध कराए गये हैं।

1 comment:

Satish Chandra Satyarthi said...

बहुत अच्छे जानकारी दी है सूरज कुंड मेले पर