Thursday, December 2, 2010

हिम्मत न हारो
होकर यूं न मायूस शाम से न ढलते रहिए,
जिंदगी भोर है सूरज की तरह निकलते रहिए|
एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही मगर राह पर चलते रहिए|
थक गए तो सुस्ता लो, लेकिन हिम्मत न हारो,
भूल-भुलैया है ये जीवन
पगडंडियाँ जिसकी हमे पार करनी है
कई असफल तब लौट गए
पार होते गए जो आगे बढते गए
धीमी रफ्तार तो क्या
मंजिल को एक दिन पाओगे |
सफलता छिपी असफलता में ही,
जैसे शंका के बादल में आशा की चमक
नाप सकोगे क्या इतनी दूरी
दूर दिखती है लेकिन मुमकिन है यह नजदीक हो
डटे रहो चाहे कितनी भी मुश्किल हो
चाहे हालात कितने भी बुरे हो,
लेकिन हिम्मत न हारो, डटे रहो|

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