Thursday, January 13, 2011

हमारे लोकतंत्र में  चार स्तम्भ है-न्यायपालिका, कार्यपालिका,विधायिका और मीडिया| पर इसमे से भी कोई स्तम्भ ऐसा नहीं है, जिसे भ्रष्ट्राचार ने नहीं जकड़ रखा हो| ऐसे में सकट लोगो के भरोसे का है और ख़तरा इस बात का है की इन चार स्तम्भों से भरोसा उठने का सीधा मतलब है लोकतंत्र से भरोसा उठना| अहम सवाल यह है की ऐसी हालत में स्थिति क्या होगी और समाज या यो कहे की पूरा देश किस दिशा में जाएगा| यह बड़ा ही सोचनीय विषयहै| हमारे लोकतंत्र में  चार स्तम्भ है-न्यायपालिका, कार्यपालिका,विधायिका और मीडिया| पर इसमे से भी कोई स्तम्भ ऐसा नहीं है, जिसे भ्रष्ट्राचार ने नहीं जकड़ रखा हो| ऐसे में सकट लोगो के भरोसे का है और ख़तरा इस बात का है की इन चार स्तम्भों से भरोसा उठने का सीधा मतलब है लोकतंत्र से भरोसा उठना| अहम सवाल यह है की ऐसी हालत में स्थिति क्या होगी और समाज या यो कहे की पूरा देश किस दिशा में जाएगा| यह बड़ा ही सोचनीय विषयहै|

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