सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी
वो गुलसिताँ हमारा।
परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा
वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं
जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से
रश्क-ए-जिनाँ हमारा।
मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है
हिंदुस्तान हमारा।- मुहम्मद इक़बाल
Friday, November 19, 2010
जेएनयू का सुनहरा इतिहास अनूठी, जिंदादिल संस्कृति का रहा है | उसके प्रशंसक भले ही पुरानी कीर्ती में ही खुश होना चाहें लेकिन यह देख कर तकलीफ होती है कि संस्थान समय के साथ जड़ होता जा रहा है |
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